10/10/2019

एक आत्याचारी राजा की कहानी Story Of a Cruel King

एक आत्याचारी राजा  की कहानी 
Story Of a Cruel King


एक राजा था। उसकी तीन चार रानिया थी। वह राजा अपनी प्रजा पर बहुत आत्याचार करता था। राजा अपने अहंकार में अँधा हो चूका था। वह सही और गलत का फर्क भूल गया था। उसे लगता था कि वह भगवान बन चूका है। उसका कोई पुत्र नहीं था। जिसे वह अपना राज काज सौप सके। राजा के आत्याचारों से हताश प्रजा के पास कोई और मार्ग नहीं था। किसान दिन रात खेतों में काम करते थे पर उन्हें पेट भर भोजन भी नहीं मिलता था। आत्याचारी राजा के पाप चरम सिमा तक पहुँच चुके थे। उसका अंत नज़दीक आ चूका था। 

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एक दिन भगवन ऋषि के वेश में राजा के पास आये और राजा से बोले " है राजन अगर आप पुत्र पाना हैं तो भगवान शिव की आराधना कीजिए। उससे आप को संतान की प्राप्ति होगी"। राजा ने शिव की आराधना की और कुछ समय बाद राजा को संतान की प्राप्ति हुई। राजा बहुत खुश हुआ। राजा ने ऋषि को बुलाया और ऋषि को वरदान मांगने की लिए कहा। 


ऋषि बोले " हे राजन मुझे धन की लालसा नहीं है। पर मैं तुम्हे एक बात बताने जा रहा जिसे तुम ध्यान से सुनो "तुम्हारी मृत्यु तुम्हारे पुत्र के हातो ही होगी"। 


राजा ऋषि की बात सुनकर घबरा गया और बोला " हे ऋषिवर आप बोल रहे है भला मेरा पुत्र मेरी हत्या क्यों करेगा"। ऋषि बोले हे राजन यह तुम्हारे कर्मो का फल है। जो तुम्हे तुम्हारे पुत्र से मिलेगा। यही विधि का विधान हैं। 


राजा ने निर्णय लिया की वह अपने पुत्र की हत्या करेगा। अगर पुत्र ही नहीं रहेगा तो उसकी हत्या नहीं होगी। राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि उसके पुत्र की हत्या कर दी जाए। सैनिक राजा के पुत्र की हत्या करने के लिए गए पर रानी अपने पुत्र को लेकर वन में भाग गयी। राजा ने सैनिको को उसे ढूंढ़कर खत्म करने का आदेश दिया। पर वे उन्हें कही नहीं मिले। 


 राजा के अत्याचार और ज्यादा बाद गए थे। महल के भोग विलास में लिप्त राजा अपनी मृत्यु को भूल गया था। लेकिन विधि के विधान को कौन बदल सकता है। उसकी मृत्यु तो होनी ही थी।
आत्याचारी राजा 


15 वर्ष बाद राजा ने तलवार बाजी की प्रतियोगिता का आयोजन किया था। जिसमे उसके पंद्रह वर्षीय बालक ने भी भाग लिया था। राजा को इसकी जानकारी नहीं थी। राजा समझता था कि उसके पुत्र की मृत्यु हो चुकी है। पर वह नहीं जानता था की उसके पुत्र को तलवार बाजी की कला खुद (भगवान) ऋषि दे रहे थे। 


छोटे से बालक ने तलवार बाजी की प्रतियोगिता में राजा को युद्ध के लिए आमंत्रित किया। पापी राजा ने उस चुनौती को स्वीकार किया। दोनों के बिच घमासान युद्ध हुआ और राजा के आत्याचारों से उस छोटे से बालक ने प्रजा को मुक्त किया। उस छोटे से बालक ने राजा को मृत्यु के घात उतार दिया। इस तरह छोटे से बालक ने राजा के किये गए पापों से प्रजा को छुटकारा दिला दिया। 


Note :- तो दोस्तों यह छोटी सी कहानी आपको कैसी लगी। आप अपने विचार मुझे अपने कमेंट के माध्यम से बाताएँ। 


धन्यवाद 

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