9/24/2019

ऋषि कुमार नचिकेता की अमर जीवनी Nachiketa Story In Hind

ऋषि कुमार नचिकेता की अमर जीवनी 
Nachiketa Story In Hindi


आश्रम का वातावण हवन की सुगंध से भरा हुआ था। दूर दूर के ऋषि महात्माओंको यज्ञ करने के लिए बुलाया गया था। चारो और वेदमन्त्रोच्चारण की ध्वनि गूंज रही थी।

बहुत पुरानी बात है जब हमारे देश में वेदों का पठान या पाठन होता था। ऋषि आश्रमों में रहकर उनके शिष्यों को शिक्षा अथवा दीक्षा देते थे। उन दिनों एक महान महर्षि थे।  उनका नाम बाजश्रव था। वे महान विद्वान और चरित्रवान थे। उनका एक पुत्र था जिसका नाम नचिकेता था। एक बार महर्षि ने "विश्वजीत" यज्ञ किया और उन्होंने एक प्रतिज्ञा की कि इस यज्ञ में वो अपनी सारी संपत्ति दान कर देंगे।




कई दिनों तक यज्ञ चलता रहा। यज्ञ की समाप्ति पर महर्षि ने अपनी सारी संपत्ति को यज्ञ करने वाले ऋषियों को दान में दे दिया। दान देकर महर्षि बहुत संतुष्ट हुए। बालक नचिकेता को गायो को दान में देने का यह निर्णय अच्छा नहीं लगा,क्यूंकि वे गायें दुबली और निर्बल थी। बालक नचिकेता का मानना था कि ऐसे दुर्बल गायों को दान में देने से कोई लाभ नहीं है। नचिकेता ने सोचा की पिताजी जरूर भूल कर रहे है। उनका पुत्र होने के नाते उन्हें ही इस भूल को सुधार न पड़ेगा।

नचिकेता पिताजी के पास गए और बोले "पिताजी अपने जिन वृद्ध गायो को दान में दिया है उनकी अवस्था ऐसी नहीं थी कि वो किसी और को दान में दी जाये।

महर्षि बोले पुत्र "पुत्र नचिकेता मैं ने यह प्रतिज्ञा की थी कि मैं इस यज्ञ में अपनी सारी संपत्ति दान कर दूंगा। गाये भी तो मेरी संपत्ति है। यदि मई गायनको दान न करता तो मेरा यज्ञ अधूरा रह जाता।

बालक नचिकेता ने कहा पिताजी "मेरे विचार में दान में वही वस्तु देनी चाहिए जो दुसरो के लिए उपयोगी हो तथा जो दूसरों के लिए काम में आ सके।  तो बताईये मैं तो आपका पुत्र हूँ आप मुझे किसे दान करोगे।

महर्षि ने नचिकेता के किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया वे मौन हो गए।  परन्तु नचिकेता ने बार बार वही प्रश्न दोहराया। महर्षि क्रोधित हो गए और बोले  "मैं तुम्हे हमराज को दान कर दूंगा। 

नचिकेता आज्ञाकारी बालक था। उसने निश्चय किया कि मुझे यमराज के पास जाकर अपने पिता के वचन को सत्य करना है। उसने सोचा की अगर वह ऐसा नहीं करेगा  तो भरिष्य में मेरे पिताजी का कोई सम्मान नहीं करेगा। 

नचिकेता ने अपने पिता से कहा "मई यमराज के पास जा रहा हूँ, अनुमति दीजिये। महर्षि असमंजस में पड़ गए।  काफी सोच विचार करने के बाद अपने ह्रदय को कठोर करने के बाद नचिकेता को यमराज के पास जाने की आज्ञा दे दी। 

नचिकेता यमलोक पहुँच गया पर यमराज वहां नहीं थे। यमराज के दूतो ने देखा की नचिकेता का जीवन काल अभी पूरा नहीं हुआ है। इसलिए उसकी और किसी ने ध्यान नहीं दिया किन्तु नचिकेता तीन दिनों तक यमलोक के द्धार पर बैठे रहा। 

चौथे दिन जब यमराज ने बालक नचिकेता को द्धार पर देखा तो नचिकेता से उसका परिचय पूछा।   निर्भय होकर बड़ी विनम्रता से अपना परिचय दिया और यह भी बताया की वह अपने पिताजी की आज्ञा से आया है। 

यमराज ने सोचा की यह पितृ भक्त बालक हमारे यहाँ अतिथि है।  यमराज मन ही मन सोचने लगे की मैंने और मेरे दूतों ने घर आये हुए अतिथि का स्वागत नहीं किया। उन्होंने नचिकेता से कहा....... है ऋषि कुमार तुम मेरे द्धार पर तीन दिनों तक भूखे प्यासे पड़े रहे, आप मुझसे तीन वर मंगलो। 

नचिकेता ने यमराज को प्रणाम करते हुए कहा........ अगर आप मुझे वरदान देना चाहते है, तो पहला वरदान दीजिये की मेरे वापस जाने पर मेरे पिता मुझे पहचान ले और उनका क्रोध शांत हो जाये। 

यमराज ने कहा....... तथास्तु कहा और दूसरा वरदान मांगने को कहा....... 

नचिकेता ने सोचा पृथ्वी पर बहुत दुःख है।  दुःख दूर करने का उपाय क्या हो सकता है ? इसलिए नचिकेता ने यमराज से दूसरा वरदान माँगा। 

स्वर्ग मिलो किस रीती से, मुझको दो यह ज्ञान। 
मानव के सुख के लिए, मांगू यह वरदान।।

यमराज ने बड़े परिश्रम से नचिकेता को वह विद्या सिखाई पृथ्वी पर दुःख दूर करने के लिए विस्तार में नचिकेता ने ज्ञान प्राप्त किया। बुद्धिमान बालक नचिकेता ने थोड़े ही समय में सब बातें सिखली। नचिकेता की एकाग्रता और सिद्धि देखकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने नचिकेता से वरदान मांगने को कहा। 

नचिकेता ने कहा........ 
मृत्यु क्यों होती है ?
मृत्यु के बाद मनुष्य का क्या होता है ?
वह कहा जाता है ?

यह प्रश्न सुनते ही यमराज चौंक पड़ते है। उन्होंने कहा " बालक नचिकेता तुम और कुछ भी मंगलो पर मैं इस राज पर से पर्दा नहीं उठा सकता। इसके बदले में तुम कोई और प्रश्न पुछलो पर नचिकेता ने कहा........ अपने मुझे वरदान दिया है। ....... आपको मुझे इस रहश्य को बताना ही पड़ेगा। 

नचिकेता की दृढ़ता और लगन को देखकर यमराज को झुकना पड़ा। 

उन्होंने नचिकेता को बताया की मृत्यु क्या है।  उसका असली रूप क्या है ? यह विषय बहुत कठिन इसलिए यह पर समझाया नहीं जा सकता। किन्तु कहा जा सकता है कि जिसने पाप किया नहीं किया, दुसरो को पीड़ा नहीं पहुंचाई, जो सच्चाई की रह पर चला उसे मृत्यु की पीड़ा नहीं होती।  कोई कष्ट नहीं होता है। इस प्रकार छोटी उम्र में ही अपनी पितृ भक्ति का प्रमाण दिया है। 

दोस्तों आपको यह कहानी पसंद आये तो कमेंट जरूर कीजिये, आपका एक कमेंट मुझे कुछ अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करता है। 
                                                              धन्यवाद 

9/23/2019

जिंदगी जीने के तीन गोल्डन रूल्स ( Three Golden Rules of Life In Hindi )

जिंदगी जीने के तीन गोल्डन रूल्स 
( Three Golden Rules of Life In Hindi )

दोस्तों, हम  अपनी जिंदगी में कई बार किसी तनाव में या संकट में फंस जाते है। जब हमें लगता है की काश हम हर मुश्किलों को आसानी से हल कर पाते या किसी भी परिस्थिति में खुद को बेहतर बना पाते। आपके भी मन में कभी न कभी ये बात आयी होगी की कुछ ऐसा रास्ता हमें मिल जाये जिससे हम अपने जीवन आसान कर सकते या उसे बहुत अच्छा बना सकते। 

हमारे  पास ऐसा कोई शार्ट कट तो नहीं होता लेकिन कुछ ऐसे टिप्स और तरीके जरूर है जिन्हे अगर हम अपने जीवन अमल करेंगे तो यकिनन हमें बहुत फ़ायदा होगा। 

जिंदगी के इन 3 स्टेप FOLLOW करके हमेशा खुश रहेंगे

ऐसें ही आपको  इस पोस्ट में आज हम कुछ लाइफ को बेहतर ढंग से जीने के लिए तीन गोल्डन रूल्स  बताने वाले है, जिन्हे अगर आप अपनी लाइफ में फॉलो करोगे तो आपको उसका फ़ायदा जरूर मिलेगा और आप  जब भी मुश्किल समय में होंगे तब आप आसानी से उस प्रॉब्लम दूर  कर पाओगे। 

तो आईये पढ़ते है क्या है वह तीन तरीके 


1. कर्म करो फल की चिंता न करो :

भगवत गीता में  लिखा हुआ यह श्लोक बहुत ही गहरा है, इसके मर्म  समझना बहुत मुश्किल है। यदि आज हम किसी से यह श्लोक कहेंगे कि कर्म कर और फल की चिंता मत कर, तो क्या वह आपकी बात को मानेगा बिलकुल नहीं क्यों की यह कलियुग है। 

 अगर आप ध्यान से समझोगे तो आप पाओगे की हमें अपनी लाइफ में जो भी कुछ करना है उसे बिना किसी लालच से करना चाहिए। ताकि अगर आपको वह लक्ष हासिल नहीं भी हुआ तो आपको दुःख नहीं होगा। हमें अपने जीवन के किसी भी  कार्य में अपना बेस्ट देना चाहिए। आप अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए जो कुछ भी करते है उसमे आप अपना सौ प्रतिशत योगदान दे, ताकि बाद में आपको निराश न होना पड़े। 

जब आप किसी  चीज को पाने के लिए बिना स्वार्थ और लालच के कड़ी मेहनत से करोगे तो आपको उसका लाभ भी होगा, साथ ही साथ अगर आप अपने लक्ष को पूरा न कर सके तो आपको वह लक्ष पूरा न होने का नुकसान भी नहीं होगा। 

आपको अपने जीवन में यह चीज याद रख लेनी चाहिए कि आप जो भी करो। वह बिना किसी लालच के करो और कर्म करते जाओ पर उसके बदले में किसी फल के बारे में न सोचे सोचे। 

2.  जो होगा अच्छा ही होगा 


आप माने या न माने पर इस दुनिया में जो भी होता है, वह अच्छा ही होता है। यह विचार सोचने पर जितना मन को लुभावना लगता है, वह उतना ही अपनी रियल लाइफ में काम आता है। जब हमारे साथ कोई भी घटना घटती है या जब हमारे साथ कुछ भी अच्छा या बुरा होता है। तब हम बहुत चिंतित हो जाते है किन्तु जब समय गुजर जाने के बाद जब हम उस घटना  के  बारे में सोचते तो तब हमें पता चलता है कि जो कुछ भी  हमारे साथ हुआ वह हमारे अच्छे के लिए ही हुआ था। 

आपको अपनी लाइफ के हर एक पड़ाव में अपना  बेस्ट देने  सोच होनी चाहिए, और कुछ भी अच्छा या बुरा घटने पर विचलित नहीं होना चाहिए। बुरा वक्त हर एक व्यक्ति के जीवन में आता है, क्यूंकि सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो पहलु है।  अगर आपके जीवन में कुछ गलत हो रहा है तो याद रखे कि आपके जीवन में कुछ अच्छा होने वाला है। अगर सूरज अस्त होता है तो सूर्य उदय भी होता है। इसलिए निराश मत होईये। 

3. बेहतर बनते जाओ 


बेहतर बनते जाओ यह बात हर इंसान जानता है, कि उसे अपने बढ़ती उम्र के साथ बेहतर से बेहतर बनना चाहिए। जब आप खुद को बेहतर बनाने का काम शुरू करदो तो आपके अंदर बदलाव आना शुरू  जायेंगे। आप प्रकृति की किसी भी चीज को उठाकर देखलो उसमे समय के साथ साथ परिवर्तन होता रहता है। अगर आप अपडेट नहीं रहोगे तो दुनिया के  साथ साथ नहीं चल पाओगे। अगर अपडेट नहीं रहोगे तो पागल कहे जाओगे। 

                                         अगर आप में कुछ नया  करने की क्षमता है......... या काबिलियत है......... पर अगर आप उसके बारे में सोचोगे ही नहीं तो आप उसे पहचानोगे कैसे, आपको अपने जीवन के हर एक हिस्से को सुनहरे अक्षरों से लिखना चाहिए। अगर आप किसी चीज को सीखना चाहते है तो अगर सीखना शुरू करदोगे तो एक न एक दिन उसे जरूर सिख जाओगे। अपने आप पर से भरोसा कभी नहीं खोना चाहिए। 

तो दोस्तों, इस आर्टिकल के माध्यम से था यह मेरा छोटा सा प्रयास जिससे आप अपनी लाइफ की कुछ मुश्किलों को और खुद को बेहतर बनाने और खुद को कुछ अलग दिखाने के लिए प्रेरित हो सको। 

निवेदन : - आपको अगर हमारी Three Golden Rules of Life In Hindi, zindagi jine ke teen tarike, self help article in hindi, कैसा लगा हमें अपने कमेंट के माध्यम से जरूर बताये क्यूंकि आपका एक कमेंट हमें बेहतर से और बेहतर लिखने की प्रेरणा देता है।     

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